छोटू सिंह रावणा एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोक गायक और भजन गायक हैं, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायन से न केवल राजस्थान में, बल्कि पूरे भारत में अपनी पहचान बनाई है। उनकी गायकी में देशभक्ति, संस्कृति और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। छोटू सिंह रावणा का जीवन एक साधारण परिवार से शुरू होकर संगीत की दुनिया में शोहरत की ऊंचाइयों तक पहुंचने की प्रेरणादायक कहानी है। यह जीवन परिचय उनके जन्म, शिक्षा, परिवार, करियर और व्यक्तिगत जीवन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से प्रस्तुत करता है।
छोटू सिंह रावणा जन्म और प्रारंभिक जीवन
छोटू सिंह रावणा का जन्म 4 अक्टूबर 1996 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव, कोटड़ा, में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण ग्रामीण परिवार में हुआ, जहां खेती और मेहनत जीवन का आधार थी। उनके माता-पिता का नाम सार्वजनिक रूप से बहुत अधिक उल्लेखित नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका परिवार मध्यमवर्गीय था और उनकी जड़ें राजस्थान की माटी से गहरे जुड़ी हुई थीं। छोटू सिंह का बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जहां संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को पंख देने की कोशिश की।
बचपन से ही छोटू सिंह को संगीत से गहरा लगाव था। गांव में होने वाले भजन कीर्तन और लोक संगीत के कार्यक्रमों में वे अक्सर शामिल होते थे। उनकी मधुर आवाज और गायन के प्रति जुनून ने उन्हें कम उम्र में ही स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया। गांव की गलियों में गुनगुनाते हुए या स्कूल के छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाते हुए वे अपने संगीत के प्रति प्रेम को व्यक्त करते थे। यह वह दौर था जब उनके मन में एक सपना पनप रहा था कि वे बड़े होकर एक प्रसिद्ध गायक बनेंगे।
छोटू सिंह रावणा की शिक्षा
छोटू सिंह रावणा की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव कोटड़ा में ही हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई में रुचि दिखाई। बाद में उन्होंने बाड़मेर के पीजी कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने बीए (बैचलर ऑफ आर्ट्स) तक की डिग्री हासिल की है। पढ़ाई के दौरान भी उनका संगीत के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। वे स्कूल और कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे और अपनी गायकी से सभी को प्रभावित करते थे।
हालांकि, छोटू सिंह ने पढ़ाई के साथ-साथ संगीत को भी समय दिया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें यह तय करना पड़ा कि वे अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य क्या रखना चाहते हैं। संगीत के प्रति उनकी दीवानगी ने उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, और उन्होंने गायकी को अपने करियर के रूप में चुना।
छोटू सिंह रावणा का परिवार
छोटू सिंह रावणा के परिवार के बारे में बहुत अधिक जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, जो उनकी निजता को दर्शाता है। उनके माता-पिता और भाई-बहनों के नाम का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन यह कहा जा सकता है कि उनका परिवार उनकी सफलता में एक मजबूत सहारा रहा है। उनके परिवार ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
छोटू सिंह की अभी शादी नहीं हुई है, और वे अपने करियर पर पूरी तरह से केंद्रित हैं। उनका परिवार आज भी बाड़मेर जिले के कोटड़ा में रहता है, और छोटू सिंह अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। वे अक्सर अपने गीतों में ग्रामीण जीवन, संस्कृति और परिवार के मूल्यों को महत्व देते हैं, जो उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि से प्रभावित है।
छोटू सिंह रावणा के संगीत करियर की शुरुआत
छोटू सिंह रावणा का संगीत करियर बचपन से ही शुरू हो गया था, जब वे गांव में भजन और लोकगीत गाया करते थे। लेकिन पेशेवर रूप से उनकी शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया। उनका पहला गाना “सतरंगी लहरियो” (Satrangi Lehriyo) था, जिसने उन्हें शुरुआती पहचान दिलाई। यह गाना राजस्थानी लोक संगीत की शैली में था और इसकी मधुर धुन और भावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
इसके बाद छोटू सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने एक के बाद एक कई भजन और लोकगीत गाए, जो धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगे। उनकी गायकी में एक खास बात यह थी कि वे पुरानी परंपराओं को आधुनिक अंदाज में प्रस्तुत करते थे, जिससे युवा पीढ़ी भी उनके संगीत से जुड़ने लगी। उनके गीतों में भक्ति, देशप्रेम और सामाजिक संदेशों का समावेश होता था, जो उन्हें अन्य गायकों से अलग बनाता था।
छोटू सिंह रावणा की लोकप्रियता और प्रसिद्धि
छोटू सिंह रावणा को असली पहचान तब मिली जब उन्होंने आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद उनके सम्मान में एक गीत “बोली बोली हैं तलवारें” गाया। यह गाना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इससे उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसके बाद उन्होंने माँ रानी पद्मावती, राणा कुंभा और पृथ्वीराज चौहान जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर गीत गाए, जो राजपूताना इतिहास और गौरव को समर्पित थे। इन गीतों ने उन्हें क्षत्रिय समुदाय और राजस्थान के लोगों के बीच खास पहचान दिलाई।
उनके कुछ सबसे लोकप्रिय भजन और गीतों में शामिल हैं:
– **संत करो नी निर्मल संत री** (Sant Karo Ni Nirmal Sant Ri)
– **लीलण प्यारी** (Lilan Pyari)
– **हंसा सुंदर काया रो** (Hansa Sunder Kaya Ro)
– **काहे रोये तेरा कोई नहीं** (Kahe Roye Tera Koi Nahi)
– **राम जागे चीनी भागे** (Ram Jage Chini Bhage)
– **नैन कटारी रे** (Naine Katari Re)
– **पाबू दे थाने युद्ध री** (Pabu Deve Thane Yudh Ri)
ये गीत न केवल राजस्थान में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी खूब पसंद किए गए। छोटू सिंह की आवाज में एक जादू है, जो श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ता है। उनके लाइव कार्यक्रमों में भीड़ उमड़ पड़ती है, और लोग रात भर उनके भजनों और गीतों का आनंद लेते हैं।
छोटू सिंह रावणा लाइव कार्यक्रम और आय
छोटू सिंह रावणा ने लगभग पांच साल पहले लाइव कार्यक्रम शुरू किए थे। वे राजस्थान के विभिन्न शहरों के अलावा हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और मुंबई जैसे महानगरों में भी प्रदर्शन करते हैं। उनके लाइव शो में भक्ति और उत्साह का अनोखा माहौल होता है। लोग उनके गीतों पर झूमते हैं और जागरण जैसे आयोजनों में उनकी उपस्थिति को खास मानते हैं।
आय के मामले में छोटू सिंह एक सफल कलाकार हैं। सूत्रों के अनुसार, वे एक लाइव कार्यक्रम के लिए 70,000 से 80,000 रुपये तक चार्ज करते हैं। इसके अलावा, उनके यूट्यूब चैनल और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से भी उन्हें अच्छी कमाई होती है। उनकी लोकप्रियता और मेहनत ने उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है।
छोटू सिंह रावणा का व्यक्तित्व और जीवन दर्शन
छोटू सिंह रावणा का व्यक्तित्व उनकी सादगी और देशप्रेम से परिभाषित होता है। वे एक शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं, जो अपनी कला के जरिए लोगों तक सकारात्मक संदेश पहुँचाते हैं। उनके गीतों में सामाजिक कुरीतियों पर चोट और देशभक्ति की भावना साफ झलकती है। वे मानते हैं कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और प्रेरित करने का माध्यम भी है।
उन्हें धरती माता से गहरा लगाव है, और वे अपने गीतों में प्रकृति और ग्रामीण जीवन की सुंदरता को बखूबी पेश करते हैं। इसके अलावा, वे एक खुशमिजाज इंसान हैं, जो अपने प्रशंसकों से आत्मीयता के साथ मिलते हैं। उनकी यह सादगी और सुलभता उन्हें और भी खास बनाती है।
छोटू सिंह रावणा के विवाद और चुनौतियाँ
छोटू सिंह रावणा का जीवन हमेशा आसान नहीं रहा। एक समय उनके खिलाफ एक विवादास्पद मामला सामने आया था, जिसमें उन पर एक लड़की ने बलात्कार का झूठा आरोप लगाया था। यह मामला कथित तौर पर उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा था। बाद में पुलिस जांच में यह आरोप झूठा साबित हुआ, और छोटू सिंह को निर्दोष पाया गया। इस घटना ने उनके जीवन में दुखद मोड़ लाया, लेकिन उनकी लोकप्रियता पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा। उनके प्रशंसकों ने उनका साथ दिया, और वे इस चुनौती से उबर गए।
छोटू सिंह रावणा की अन्य रुचियाँ
संगीत के अलावा छोटू सिंह को क्रिकेट का भी शौक था। बचपन में वे राज्य स्तर तक क्रिकेट खेल चुके हैं। एक समय उन्होंने गायकी छोड़कर क्रिकेट को प्राथमिकता दी थी, लेकिन बाद में संगीत के प्रति उनका जुनून फिर से जागा और उन्होंने इसे अपना करियर बनाया। इसके अलावा, वे अभिनय में भी रुचि रखते हैं और कई म्यूजिक वीडियो में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं।
छोटू सिंह रावणा की उपलब्धियाँ और प्रभाव
छोटू सिंह रावणा ने कम उम्र में ही संगीत के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। उनकी गायकी ने राजस्थानी लोक संगीत को नई पहचान दी है। वे पुरानी परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में सफल रहे हैं। उनके गीतों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि लोगों को इतिहास, संस्कृति और भक्ति से जोड़ा है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके प्रशंसक उन्हें “भजन सम्राट” कहकर पुकारते हैं।
छोटू सिंह रावणा का जीवन एक साधारण ग्रामीण युवा से लेकर संगीत की दुनिया के सुपरस्टार तक की प्रेरणादायक यात्रा है। उनका जन्म, शिक्षा, परिवार और करियर यह दर्शाते हैं कि मेहनत और लगन से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायन ने लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई है। वे न केवल एक गायक हैं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी हैं, जो यह सिखाते हैं कि जड़ों से जुड़े रहकर भी शिखर तक पहुँचा जा सकता है। छोटू सिंह रावणा का यह सफर अभी जारी है, और भविष्य में वे निश्चित रूप से और भी ऊंचाइयाँ छूएंगे।