IIT बाबा अभय सिंह का जीवन परिचय | IIT Baba Abhay Singh Biography in Hindi

आईआईटी बाबा अभय सिंह एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग की दुनिया से आध्यात्मिकता की राह तक का एक अनोखा सफर तय किया है। हरियाणा के एक छोटे से गाँव से शुरू हुआ उनका जीवन आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। IIT Baba Abhay Singh ने न केवल अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों से लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि अपने आध्यात्मिक दृष्टिकोण और जीवन के प्रति अनूठे नजरिए से भी सुर्खियाँ बटोरीं। इस लेख में हम आईआईटी बाबा अभय सिंह के जीवन, उनके करियर, और उनके आध्यात्मिक सफर के बारे में विस्तार से जानेंगे।

IIT बाबा अभय सिंह का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

आईआईटी बाबा अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गाँव में एक जाट परिवार में हुआ। उनके पिता, करण सिंह ग्रेवाल, एक वकील और झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं, जबकि उनकी माँ, शीला देवी, एक गृहिणी हैं। IIT Baba Abhay Singh का बचपन साधारण परिस्थितियों में बीता, लेकिन उनकी जिज्ञासा और ज्ञान की भूख ने उन्हें कम उम्र में ही विशेष बना दिया। परिवार में उनकी एक बहन भी हैं, जो वर्तमान में कनाडा में रहती हैं।

बचपन से ही आईआईटी बाबा अभय सिंह पढ़ाई में असाधारण रूप से होनहार थे। उनके पिता के अनुसार, अभय हमेशा से एक संवेदनशील और सत्यवादी बच्चे थे। हालांकि, उनके माता-पिता के बीच घरेलू तनाव और झगड़ों ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। IIT Baba Abhay Singh ने कई साक्षात्कारों में बताया कि पारिवारिक कलह ने उन्हें आत्म-चिंतन और आध्यात्मिकता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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IIT बाबा अभय सिंह का शैक्षणिक यात्रा: IIT बॉम्बे में प्रवेश

आईआईटी बाबा अभय सिंह की शैक्षणिक यात्रा उनकी मेहनत और बुद्धिमत्ता का जीवंत उदाहरण है। प्रारंभिक शिक्षा झज्जर में पूरी करने के बाद, उन्होंने इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोचिंग लेने का निर्णय लिया। जहाँ उनके परिवार ने उन्हें कोटा भेजने की योजना बनाई थी, वहीं IIT Baba Abhay Singh ने दिल्ली में कोचिंग लेना पसंद किया। उनकी कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम यह हुआ कि उन्होंने 2008 में JEE (Joint Entrance Examination) में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 731 हासिल की, जो उस समय के हिसाब से एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी।

इसके बाद, आईआईटी बाबा अभय सिंह को देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, IIT बॉम्बे में दाखिला मिला। उन्होंने वहाँ से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की (2008-2012 बैच)। IIT बॉम्बे में रहते हुए, IIT Baba Abhay Singh ने न केवल अपनी तकनीकी समझ को निखारा, बल्कि जीवन के गहरे सवालों पर भी विचार करना शुरू किया। उनकी जिज्ञासा उन्हें केवल इंजीनियरिंग तक सीमित नहीं रख सकी; उन्होंने दर्शनशास्त्र, संस्कृत, और कला जैसे विषयों में भी रुचि दिखाई।

IIT बॉम्बे में पढ़ाई के दौरान, आईआईटी बाबा अभय सिंह ने कई नवाचारों पर काम किया। उन्होंने कम लागत वाले उपकरणों से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तक कई परियोजनाओं में योगदान दिया। उनकी यह सोच कि तकनीक का उपयोग सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए किया जा सकता है, उनकी दूरदर्शिता को दर्शाती है।


IIT बाबा अभय सिंह का करियर की शुरुआत: इंजीनियरिंग से डिज़ाइन और फोटोग्राफी तक

IIT Baba Abhay Singh ने अपनी बीटेक की डिग्री पूरी करने के बाद डिज़ाइनिंग में मास्टर डिग्री (M.Tech in Design) हासिल की। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि यह वह समय था जब उन्होंने अपनी रचनात्मकता को और अधिक खोजने का फैसला किया। आईआईटी बाबा अभय सिंह ने फोटोग्राफी में भी गहरी रुचि दिखाई, खासकर ट्रैवल फोटोग्राफी में। उन्होंने एक प्रतिष्ठित संस्थान से फोटोग्राफी का कोर्स किया और इसे अपने करियर का हिस्सा बनाया।

इसके बाद, IIT Baba Abhay Singh ने दिल्ली में कुछ समय तक नौकरी की, जहाँ उन्होंने फिजिक्स के कोचिंग टीचर के रूप में भी काम किया। उनकी शिक्षण शैली असाधारण थी; वे जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को सरल और रोज़मर्रा के उदाहरणों के माध्यम से समझाने में माहिर थे। इस दौरान, उन्होंने कई छात्रों को JEE और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया।


IIT बाबा अभय सिंह का कनाडा में नौकरी: एक सुनहरा अवसर

2019 में, आईआईटी बाबा अभय सिंह अपनी बहन के साथ कनाडा चले गए, जहाँ उन्हें एक विमान निर्माण कंपनी में नौकरी मिली। यह उनके करियर का एक सुनहरा दौर था, जहाँ उन्हें प्रति माह 3 लाख रुपये (लगभग 36 लाख रुपये सालाना) की सैलरी मिल रही थी। IIT Baba Abhay Singh ने कनाडा में रहते हुए एक स्वतंत्र जीवन जिया और अपनी बहन से अलग एक घर में रहने लगे।

हालांकि, कनाडा में रहते हुए आईआईटी बाबा अभय सिंह को गंभीर अवसाद (डिप्रेशन) का सामना करना पड़ा। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, जब वे अपनी बहन से लंबे समय तक नहीं मिल सके, उनकी मानसिक स्थिति और खराब हो गई। इस दौरान, IIT Baba Abhay Singh ने अपने जीवन के उद्देश्य पर गहराई से विचार किया। उन्होंने मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, और आध्यात्मिकता का अध्ययन शुरू किया, जिसमें ज. कृष्णमूर्ति और ISKCON की शिक्षाओं ने उनकी सोच को गहराई से प्रभावित किया।


IIT बाबा अभय सिंह का आध्यात्मिकता की ओर रुख

आईआईटी बाबा अभय सिंह का आध्यात्मिक सफर तब शुरू हुआ जब उन्होंने कनाडा में अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत लौट आए। वे हरिद्वार, उज्जैन, और मनाली जैसे आध्यात्मिक स्थानों पर गए, जहाँ उन्होंने आत्म-चिंतन और साधना में समय बिताया। IIT Baba Abhay Singh ने संस्कृत के अध्ययन में गहरी रुचि दिखाई और इसके अनूठेपन को समझने की कोशिश की।

2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में आईआईटी बाबा अभय सिंह ने एक साधु के रूप में हिस्सा लिया और जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। उन्होंने जूना अखाड़ा में शामिल होने का फैसला किया, जो भारत के सबसे पुराने और सम्मानित सन्यासी संगठनों में से एक है। IIT Baba Abhay Singh ने अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि का उपयोग करते हुए आध्यात्मिक अवधारणाओं को डायग्राम और सरल भाषा में समझाने की कोशिश की, जिसने उन्हें “IITian Baba” का खिताब दिलाया।

हालांकि, उनकी लोकप्रियता के साथ कुछ विवाद भी जुड़े। जूना अखाड़ा ने उन्हें अपने गुरु, महंत सोमेश्वर पुरी के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों के कारण निष्कासित कर दिया। आईआईटी बाबा अभय सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उनकी कोई गुरु-शिष्य परंपरा नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक है और मीडिया द्वारा उनके बारे में फैलाई गई अफवाहें गलत हैं।


IIT Baba Foundation: सामाजिक योगदान

आईआईटी बाबा अभय सिंह ने न केवल अपने आध्यात्मिक सफर से लोगों को प्रेरित किया, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने IIT Baba Foundation की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है। इस फाउंडेशन का उद्देश्य वंचित छात्रों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करना है ताकि वे JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो सकें। IIT Baba Abhay Singh ने तकनीक-आधारित कक्षाओं और इंटरैक्टिव शिक्षण विधियों के माध्यम से हजारों छात्रों को प्रेरित किया और कई परिवारों को गरीबी के चक्र से बाहर निकाला।

आईआईटी बाबा अभय सिंह का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। वे समग्र विकास पर जोर देते हैं और छात्रों को कला, संगीत, और खेलों में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनकी यह सोच कि “एक समग्र व्यक्ति न केवल बेहतर पेशेवर होता है, बल्कि बेहतर इंसान भी होता है,” उनके दर्शन को दर्शाती है।


IIT बाबा अभय सिंह की लव स्टोरी और निजी जीवन

IIT Baba Abhay Singh की निजी जिंदगी भी चर्चा का विषय रही है। उन्होंने एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि वे चार साल तक एक रिलेशनशिप में थे, लेकिन अपने माता-पिता के बीच झगड़ों को देखते हुए उन्होंने शादी न करने का फैसला किया। आईआईटी बाबा अभय सिंह ने कहा कि अगर उनकी पूर्व प्रेमिका उनके पास वापस आना चाहती हैं, तो उन्हें पहले साधना करनी होगी। यह बयान उनकी आध्यात्मिकता और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है।

उनके परिवार ने भी उनके आध्यात्मिक रास्ते पर जाने के फैसले को स्वीकार करने में समय लिया। उनके पिता, करण सिंह ग्रेवाल, ने कहा कि वे अपने बेटे की वापसी की उम्मीद करते हैं, लेकिन वे उनकी उपलब्धियों पर गर्व भी करते हैं। IIT Baba Abhay Singh ने अपने परिवार के साथ संपर्क कम कर लिया है और उनके अनुसार, यह उनकी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है।


IIT बाबा अभय सिंह का लेखन और रचनात्मकता: ‘A Beautiful Place to Get Lost’

आईआईटी बाबा अभय सिंह ने अपनी रचनात्मकता को एक किताब के रूप में भी व्यक्त किया है। उनकी पुस्तक ‘A Beautiful Place to Get Lost’ आत्म-अन्वेषण और आध्यात्मिकता की यात्रा पर आधारित है। यह किताब पाठकों को सही और गलत की धारणाओं को चुनौती देने और मन की गहराइयों में उतरने के लिए प्रेरित करती है। IIT Baba Abhay Singh की काव्यात्मक शैली और गहरी अंतर्दृष्टि ने इस किताब को पाठकों के बीच लोकप्रिय बनाया है।


IIT बाबा अभय सिंह के महाकुंभ 2025 में वायरल होने की कहानी

आईआईटी बाबा अभय सिंह 2025 के महाकुंभ में अपनी अनूठी कहानी और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के कारण सोशल मीडिया पर छा गए। उनके साक्षात्कार, जिसमें उन्होंने अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ा, ने लाखों लोगों का ध्यान खींचा। IIT Baba Abhay Singh ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल (Abhey_singh) पर अपनी आध्यात्मिक यात्रा के वीडियो साझा किए, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ी।

हालांकि, उनकी लोकप्रियता के साथ कुछ विवाद भी सामने आए। कुछ लोगों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाए, जबकि आईआईटी बाबा अभय सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और उनकी यात्रा सत्य और आत्म-खोज पर आधारित है।


IIT बाबा अभय सिंह का दर्शन और जीवन का उद्देश्य

IIT Baba Abhay Singh का मानना है कि आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। वे कहते हैं, “जो व्यक्ति सत्य और निष्ठा के साथ किसी भी क्षेत्र में खोज करता है, वह अंततः एक ही सत्य तक पहुँचता है।” आईआईटी बाबा अभय सिंह के लिए भक्ति कोई निर्णय नहीं, बल्कि एक स्वाभाविक रुझान है जो उन्हें जीवन के गहरे अर्थ की ओर ले गया।

उनका दर्शन स्वतंत्रता और आत्म-खोज पर आधारित है। वे कहते हैं, “जब इंसान कहीं अटकता नहीं, तभी वह पूरी तरह मुक्त होता है।” IIT Baba Abhay Singh का यह दृष्टिकोण न केवल उनके अनुयायियों को प्रेरित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिक्षा और आध्यात्मिकता का संगम एक संतुलित जीवन की नींव रख सकता है।

आईआईटी बाबा अभय सिंह की कहानी एक ऐसी प्रेरणादायक यात्रा है जो दर्शाती है कि जीवन में सच्चाई और उद्देश्य की खोज कभी खत्म नहीं होती। एक छोटे से गाँव से शुरू होकर IIT Baba Abhay Singh ने न केवल इंजीनियरिंग और तकनीक की दुनिया में अपनी छाप छोड़ी, बल्कि आध्यात्मिकता और सामाजिक कार्यों के माध्यम से भी लाखों लोगों के दिलों को छुआ। उनकी IIT Baba Foundation, उनकी किताब, और उनकी आध्यात्मिक शिक्षाएँ उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।

आईआईटी बाबा अभय सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची सफलता केवल धन या प्रसिद्धि में नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और दूसरों के लिए किए गए कार्यों में है। यदि आप उनकी कहानी से प्रेरित हुए हैं, तो उनकी आध्यात्मिक यात्रा को और करीब से जानने के लिए उनके इंस्टाग्राम हैंडल पर उनके वीडियो देख सकते हैं। IIT Baba Abhay Singh की यह जीवनी न केवल उनकी उपलब्धियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सच्चाई और समर्पण के साथ कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को अर्थपूर्ण बना सकता है।

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