पत्रकार मनीष कश्यप (Manish Kasyap) एक ऐसा नाम है, जो निडर और ईमानदार पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने अपनी बेबाक आवाज और सच्चाई को सामने लाने की हिम्मत से पूरे देश में अपनी पहचान बनाई। मनीष कश्यप को लोग ‘Son of Bihar’ के नाम से भी पुकारते हैं, क्योंकि उन्होंने बिहार में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों के खिलाफ अपनी आवाज को मजबूती से उठाया।
मनीष कश्यप का प्रारंभिक जीवन और परिवार
मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1988 को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के डुमरी महनवा गांव में हुआ था। उनका असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है, लेकिन वे Manish Kasyap के नाम से प्रसिद्ध हैं। मनीष कश्यप एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में कार्यरत हैं, जबकि उनकी माता एक गृहिणी हैं। Manish Kasyap के एक भाई हैं, जो एक निजी कंपनी में काम करते हैं। मनीष कश्यप ने अपने बचपन में ही कठिनाइयों का सामना किया और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को करीब से देखा, जिसने उन्हें भविष्य में पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया।
पत्रकार मनीष कश्यप ने अपने जीवन में हमेशा सच्चाई और ईमानदारी को महत्व दिया। उनके परिवार ने उनकी पढ़ाई और सपनों को पूरा करने में उनका पूरा साथ दिया। Manish Kasyap की पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें एक जुझारू और निडर व्यक्तित्व बनाया।
मनीष कश्यप का शिक्षा और प्रारंभिक करियर
मनीष कश्यप ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के एक सरकारी स्कूल से पूरी की। वे पढ़ाई में हमेशा होशियार थे और 2007 में हाई स्कूल की परीक्षा पास की। इसके बाद, 2009 में उन्होंने 12वीं की पढ़ाई बेतिया से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए Manish Kasyap महाराष्ट्र चले गए, जहां उन्होंने सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी, पुणे से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद पत्रकार मनीष कश्यप ने नौकरी करने के बजाय अपने राज्य बिहार लौटने का फैसला किया। उन्होंने महसूस किया कि वे लोगों की समस्याओं को हल करने और समाज में बदलाव लाने के लिए बने हैं। यही सोच उन्हें पत्रकारिता की ओर ले गई। Manish Kasyap की शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने उन्हें तार्किक और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण दिया, जो उनकी पत्रकारिता में साफ झलकता है।
मनीष कश्यप का पत्रकारिता में कदम
मनीष कश्यप ने पत्रकारिता की शुरुआत तब की, जब उन्होंने बिहार में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को देखा। एक बार उनका ड्राइविंग लाइसेंस खो गया था, और उसे दोबारा बनवाने के लिए जब वे सरकारी दफ्तर गए, तो वहां भ्रष्टाचार का खुला खेल देखकर वे हैरान रह गए। Manish Kasyap ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला, जो तेजी से वायरल हो गया। इस घटना ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में और सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया।
13 जुलाई 2018 को पत्रकार मनीष कश्यप ने अपने यूट्यूब चैनल सच तक न्यूज की शुरुआत की। इस चैनल के माध्यम से उन्होंने बिहार की अर्थव्यवस्था, प्रशासनिक सेवाओं, और सरकारी कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करना शुरू किया। Manish Kasyap की निडर और बेबाक पत्रकारिता ने उन्हें जल्द ही लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया। उनके वीडियो को लाखों लोग देखते हैं, और उनके चैनल पर आज 73 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं।
मनीष कश्यप की पत्रकारिता का अंदाज अनोखा है। वे बिना किसी डर के सत्ता और भ्रष्टाचारियों से सवाल पूछते हैं। उनकी वीडियो में तीखे सवाल, तथ्य, और जनता की आवाज शामिल होती है, जो उन्हें अन्य पत्रकारों से अलग बनाती है। Manish Kasyap ने अपने चैनल के जरिए स्कूलों की जर्जर हालत, सरकारी शिक्षकों की लापरवाही, और बिहार में बुनियादी ढांचे की कमी जैसे मुद्दों को उठाया।
मनीष कश्यप का सच तक न्यूज और पत्रकारिता का प्रभाव
पत्रकार मनीष कश्यप का यूट्यूब चैनल सच तक न्यूज आज बिहार में एक क्रांति का प्रतीक बन चुका है। इस चैनल के जरिए Manish Kasyap ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया। उनके वीडियो में बिहार के गांवों, सरकारी दफ्तरों, और प्रशासनिक खामियों की सच्चाई को सामने लाया जाता है।
मनीष कश्यप ने कई बार बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भी सवाल उठाए हैं। उनकी बेबाकी के कारण वे कई बार विवादों में भी रहे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी आवाज को दबने नहीं दिया। Manish Kasyap की पत्रकारिता ने बिहार के लोगों को यह विश्वास दिलाया कि सच्चाई की आवाज को कोई नहीं रोक सकता।
उनके चैनल पर वीडियो लाखों व्यूज और कमेंट्स प्राप्त करते हैं। लोग उनकी निडरता की तारीफ करते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं। पत्रकार मनीष कश्यप ने अपनी पत्रकारिता के जरिए बिहार में जंगलराज, भ्रष्टाचार, और प्रशासनिक लापरवाही जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनाया।
मनीष कश्यप का राजनीतिक करियर
मनीष कश्यप ने पत्रकारिता के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रखा। 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें 9,239 वोट मिले, और वे तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि वे चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। Manish Kasyap ने इस दौरान भी अपनी पत्रकारिता को जारी रखा और जनता के मुद्दों को उठाते रहे।
2024 में पत्रकार मनीष कश्यप ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की और लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया। उनकी यह राजनीतिक पारी भी उनकी निडर छवि को और मजबूत करती है। Manish Kasyap का कहना है कि वे पत्रकारिता और राजनीति दोनों के जरिए जनता की सेवा करना चाहते हैं।
मनीष कश्यप का विवाद और चुनौतियां
मनीष कश्यप की निडर पत्रकारिता ने उन्हें कई बार विवादों में भी डाला। 2023 में तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के खिलाफ कथित अत्याचार का एक फर्जी वीडियो उनके चैनल पर अपलोड होने के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई। इस मामले में बिहार और तमिलनाडु पुलिस ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए। Manish Kasyap को 9 महीने तक जेल में रहना पड़ा, लेकिन जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने फिर से अपनी पत्रकारिता को और मजबूती से शुरू किया।
पत्रकार मनीष कश्यप का कहना है कि वे जनता के लिए लड़ते हैं, और उनकी गिरफ्तारी उन्हें डरा नहीं सकती। उनके समर्थकों ने इस दौरान उनके लिए व्यापक समर्थन दिखाया। Manish Kasyap के खिलाफ कई FIR दर्ज होने के बावजूद, उनकी लोकप्रियता और फैन फॉलोइंग में कोई कमी नहीं आई।
मनीष कश्यप का सामाजिक प्रभाव और लोकप्रियता
मनीष कश्यप को बिहार में ‘Son of Bihar’ के नाम से जाना जाता है। उनकी पत्रकारिता ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में लोगों को प्रभावित किया है। Manish Kasyap के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर लाखों फॉलोअर्स हैं। उनके वीडियो में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी बेबाक आवाज और तीखे सवाल लोगों को पसंद आते हैं।
पत्रकार मनीष कश्यप ने श्रीराम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य केवल आलोचना करना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना भी है। Manish Kasyap की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके गानों पर भी कई भोजपुरी गाने बने हैं, जैसे “सुनते ही नाम कांपे बड़े बड़े नेता”।
मनीष कश्यप का निजी जीवन
मनीष कश्यप अभी अविवाहित हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने मजाक में कहा था, “मुझ जैसे क्रांतिकारी को कौन अपनी बेटी देगा?” Manish Kasyap का पूरा ध्यान अपनी पत्रकारिता और जनता की सेवा पर है। वे अपने परिवार के साथ बिहार में रहते हैं और अपने गांव डुमरी महनवा से गहरा जुड़ाव रखते हैं। पत्रकार मनीष कश्यप की सादगी और निडरता उन्हें जनता के बीच और भी लोकप्रिय बनाती है।
मनीष कश्यप की संपत्ति और आय
2020 के विधानसभा चुनाव में दी गई जानकारी के अनुसार, मनीष कश्यप की चल संपत्ति लगभग 15 लाख रुपये और अचल संपत्ति 25 लाख रुपये है। इसके अलावा, उनका यूट्यूब चैनल सच तक न्यूज उनकी आय का प्रमुख स्रोत है। Manish Kasyap की मेहनत और लोकप्रियता ने उन्हें आर्थिक रूप से भी स्थिर बनाया है।
पत्रकार मनीष कश्यप (Manish Kasyap) ने अपनी निडर और ईमानदार पत्रकारिता से बिहार और पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई है। उनकी कहानी एक साधारण गांव के लड़के से लेकर ‘Son of Bihar’ बनने तक की है, जो हर किसी को प्रेरित करती है। मनीष कश्यप ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर न केवल पत्रकारिता को नया आयाम दिया, बल्कि लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया।
उनके यूट्यूब चैनल सच तक न्यूज और उनकी बेबाक आवाज ने लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई है। Manish Kasyap की पत्रकारिता और राजनीतिक सक्रियता भविष्य में भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम करेगी। यदि आप पत्रकार मनीष कश्यप के बारे में और जानना चाहते हैं, तो उनके यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पेज को फॉलो करें।